Tietenic टाइटैनिक के डूबने का main कारण क्या था ? कितने लोग मारे गए ?

सन 1912 में ब्रिटिश समुद्री जहाजों का पूरे विश्व में वर्चस्व हुआ करता था जर्मन को यह बात हजम नहीं हो रही थी इसलिए बीसवीं सदी की शुरुआत से ही जर्मनी बड़े जहाज बनाने लगा था.

इसके जवाब में ब्रिटेन ने कद्दावर ओलंपिक टिंबर बनवाया तो जर्मनी ने इसके तोड़ स्वरूप इम्पेरियर नाम का महाकाय जहाज बनवाया।  द ब्रिटिश सरकार ने मशहूर कंपनी व्हाइट स्टार को करोडो पाउंड की लोन दी और कहा गया कि और बड़ा पैसेंजर जहाज बनाओ जिसकी सजावट और कद आलीशान महल से भी बड़ा हो।  

इस हुक्म को मानते हुए 17000 इंजीयर और कारीगरों ने कड़ी मेहनत शुरू कर दी।  तीन साल बाद समुद्र में तैरते आलीशान महल का निर्माण कर दिया। जिसकी लंबाई 882 फीट, ऊंचाई 104 फीट, वजन 46303 टन और इंजन 55000 हॉर्स पावर का था ।  1 अप्रैल 1912 को Tietenic टाइटेनिक बनकर तैयार हो चुका था।


टाइटेनिक  बाहर से जितना आलीशान दिखता था उससे कई ज्यादा बेनमून वह अंदर से था। एक छोटे शहर में होने वाली हर जरूरत और सुविधा इसे छोटे जहाज में मौजूद थी।  इस जहाज की खास बात यह थी कि किसी बड़ी से इसे डूबने का खतरा नहीं था। क्योंकि इस जहाज को 16 अलग-अलग हिस्सों में बनाकर तैयार किया गया था। 1912 के उस दौर में दुनिया का कोई जहाज इतने हिस्सों में डिवाइड होकर नहीं बना था।  

इसीलिए टाइटेनिक को अनशॉकेबल जहाज का नाम मिला था।  दुनिया के सबसे बड़े और शानो शौकत से भरे टाइटैनिक की पहली समुद्री यात्रा करने का दिन आया ब्रिटेन में खुशियों की लहर थी।  दुनिया का हर अमीर आदमी इस समुद्री महल में सफर करना चाहता था।  फाइव स्टार होटल से भी चमकीले टाइटैनिक के एक केबिन की कीमत थी उस वक्त के 870 पाउंड ।  जहाज की पहले ही सफर में वीवीआईपी लोगों का लिस्ट देखकर व्हाइट स्टार कंपनी के अध्यक्ष उनके मेहमान नवाजी करने के लिए खुद सफर में शामिल हुए थे ।

टाइटैनिक (tietenic) कि सफर की शुरुआत  

10 अप्रैल 1912 दोपहर को टाइटेनिक ब्रिटेन के साउथम टर्न बंदर से अपनी लंबी सफर के लिए निकल पड़ा जहाज के कैप्टन एडवर्ड मीट भी बहुत उत्साहित है यह उनका आखिरी सफर था क्योंकि इसके बाद वह रिटायर होने वाले थे टाइटैनिक 42 km/ की स्पीड से शाम को फ्रांस पहुंचा, वहां से कुछ और वीआईपी लोगों को लेकर आईलैंड के क्वींसटाउन बंदर पहुंचा और आखिर में यह वैभवशाली जहाज आईलैंड छोड़कर अपने अंतिम सफर अमेरिका के न्यूयॉर्क की ओर रवाना हुआ।
Tietenic टाइटैनिक के डूबने का  कारण क्या था ? कितने लोग मारे?

11 अप्रैल 1912 के दोपहर के 2:00 बजे टाइटेनिक जब आइलैंड से निकला तब उसपर 1316 पैसेंजर और 891 क्रू मेंबर को मिलाकर कुछ 2207 लोग सवार थे।  टाइटेनिक अटलांटिक महासागर को चीरता हुआ अपनी मंजिल यानी अमेरिका की ओर बढ़ रहा था आयरलैंड छोड़ी उससे 3 दिन बीत चुके थे जहाज पर सब लोग मौज मस्ती कर रहे थे। आने वाले खतरे से अनजान, बेखौफ, बेखबर। 14 अप्रैल 1912 की सुबह 9:00 बजे टाइटैनिक जहाज को एक संदेश मिला  “ कैप्टन टाइटैनिक के पश्चिम में हम आपसे कुछ दूर आगे सफर कर रहे हैं 42 डिग्री नॉर्थ लोंगिट्यूड और 50 डिग्री बेस्ट लेटीट्यूड के विस्तार में हमें कुछ हिमसिलाए दिखी है आप सावधान रहना। ”  

इस चेतावनी को है ब्राएल ने अनसुना कर दिया।  क्योंकि उनको अपने वीवीआईपी मेहमानों को खुश रखना इससे ज्यादा अहम लगा।  शाम का वक्त हुआ हड्डियों को गला देने वाली ठंड थी और समुद्र का पानी बरसे भी ठंडा था टाइटैनिक से कुछ दूर चल रही कैलिफोर्निया के स्टीमर ने भी टाइटैनिक को चेतावनी दी।

टाइटैनिक (tietenic) कि सफर का अंत 

इन हालात में टाइटेनिक का रास्ता बदलने की जरूरत थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। धीरे – धीरे जहाज कई हिमसिलाओ के विस्तार में पहुंच चुका था।   कुछ देर बाद कैप्टन एडमिट को बेचैनी हुई, उन्होंने मेंबर को जहांज के ऊपर चढ़कर दूरबीन से सारी दिशाओं की जांच करने के लिए भेजा।  निरीक्षण में टाइटैनिक के रास्ते में एक बड़ी आकृति दिखी । 

यह आकृति एक बहुत ही बड़ी  हिम शीला थी। एक क्षण भी ना गवाकर नाभिक अफसरों को आगाह किया, अफसरों ने ताबड़तोड़ जहाज को मोड़ा, जहाज बाई ओर मुड़ा भी लेकिन जहाज का बायां हिस्सा इन शीला से टकरा गया। इस टकराव का झटका जहाज में बैठे कुछ लोगों को महसूस हुआ और कईयों को नहीं।  कुछ देर बाद जब फ्लिप ने देखा तो टाइटैनिक के समुद्र तल के अंदरूनी हिस्से में 300 फीट लंबी द्रार बन गई थी और इस बात से अंजान पैसेंजर अब भी अपनी मस्ती में व्यस्त थे।  यात्रियों को उस वक्त जब टाइटेनिक ब्रेक लगाई गई और सारे प्रोपिलर्स को बंद कर दिया गया।  पैसेंजर एक और जमा होने लगे टाइटेनिक दाई ओर झुकने लगा ।


Tietenic टाइटैनिक के डूबने का  कारण क्या था ? कितने लोग मारे?

capton चारों और मदद के लिए वायरलेस संदेश भेजने लगे । कार्पेतिया नाम का एक और ब्रिटिश जहाज वहां से 93 किलोमीटर दूर था, जब उनको यह संदेश मिला तब उनको मजाक जैसा लगने लगा। वॉट टाइटैनिक डूब रहा है  उन्होने दोबारा कोन्फ़ोर्म किया और वापस जवाब भेजो कि हम आपकी मदद के लिए आ रहे हैं।  लेकिन 93 किलोमीटर दूर से मदद आने तक टिके रहने का समय टाइटैनिक के पास नहीं था। टक्कर 14 अप्रैल की रात 11:40 को हुई थी, और अभी रात के 12:30 बज चुके थे, जहाज में से कुछ लोग को छोटी बोट में बैठाकर रवाना किया गया, पर अभी भी कई लोग अंदर मौजूद थे क्योंकि इतनी लाइफ बोट ही नहीं थी कि सारे लोगों को बचाया जा सके।  धीरे धीरे जहाज के एक हिस्से में पानी भरने से उसका दूसरा हिस्सा ऊपर उठने लगा, मध्य रात्रि के 1:20 पर जहांज का एक हिस्सा 25 मंजिला इमारत जितना ऊपर उठ चुका था।  

अब ज्यादा समय नहीं था टाइटैनिक का आगे वाला हिस्सा वजन के कारण एक साथ बड़ी आवाज के साथ टूट पड़ा और टाइटैनिक के दो टुकड़े हो गए। कुछ क्षणों में unsicable कहा जाने वाला टाइटेनिक अपनी पहली यात्रा में एटलांटिक महसागर की गोद में आ गया।  इस में 1503 लोग मारे गए और करीब 704 लोगों को बाद में पहुंचने वाले कार्पितिया जहाज द्वारा बचा लिया गया।  टाइटैनिक को अनसिंकेबल बनाने वाली कोशिश नाकामयाब रही ।

जी हां! टाइटेनिक को बचाया जा सकता था अगर 2-2 चेतावनी को गंभीरता से लिया होता, और टाइटेनिक हमेशा ही अनसिंकेबल रहेगा इसे मानने का ओवरकॉन्फिडेंस इसे बनाने वालों को ना होता

0/Comments = 0 Text / Comments not = 0 Text

Thank you For Visiting

Previous Post Next Post