पृथ्वी एक ऐसा प्लेनेट है जहां जिंदगी बनाने के लिए सभी चीजें मौजूद हैं।
मैं आपको धरती पर जीवन की सुरुयात कैसे शुरू हुई और यहां क्या-क्या चीजें हैं.
जिसने धरती पर जीवन को संभव बनाया है यह सभी बातें करके बोर नहीं करूंगा। आपने यह सभी बातें बहुत सी आर्टिकल में पहले देख
रखी होंगी।
आज मैं आपको कुछ ऐसे प्लेनेट
यानी ग्रहों के बारे में बताऊंगा जहां बिल्कुल धरती जैसे जिंदगी पनप सकती है यानी
वहां का वातावरण और बायोलॉजिकल माहौल जिंदगी को जन्म दे सकता है.
अगर कभी
इंसानों को धरती को छोड़कर कहीं और जाना पड़े तो काफी पॉसिबिलिटी है कि इंसान इन में
से ही किसी गृह पर ही जाएगा।
यह अपने सूरत का चक्कर 350 दिनों में लगाता है। यह हमारे सोलर सिस्टम काफी दूर है और यहां तक जाने के लिए शायद टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना पड़ेगा अब आप यह कहेंगे कि 2018 में की गई एक स्टडी के मुताबिक इसके काफी कम है.
![]() |
habitable planets |
Top habitable planets
01॰ प्रॉक्सिमा सेंचुरी बी 112 प्लेनेट :
यानी हमारे सोलर
सिस्टम के बाहर का प्लेनेट है इस प्लेनेट को अगस्त 2016 में ढूंढा गया था.
यह प्लेनेट एविटेबल दोन की दूरी से
एक रेडवार प्लेनेट के चक्कर लगा रहा है इस बार प्लेनेट का नाम प्रॉक्सिमा सेंचुरी
है और यह हमारे सूरज के सबसे करीब सितारों में से एक है.
अभी टेबल जोन का मतलब है
कि प्लेनेट की किसी भी सितारे से ऐसी दूरी बनाए रखना जो कि पानी को लिक्विड सेट
में रहने के लिए प्रेशर और टेंपरेचर बनाए रखता है.
यह धरती से 4.2 लाइट इयर की दूरी
पर मौजूद है और लेकिन ऐसा सितारों का ग्रुप होता है जिसे जोड़ कर सकते हैं.
सितारों
को जोड़कर एक एक जानवर जैसा इमेजिन कर सके तो वह ग्रुप ऑफ़ टास्क 1 कौनसी लेशन
कहलाएगा यह प्लेनेट धरती से करीब 30 % बड़ा है.
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जहां Earth को हमारे सूरज का चक्कर लगाने में करीब 365 दिन का वक्त लगता
है.
वही इस प्लेनेट को जो कि अपने सितारे यानी प्रॉक्सिमा सेंचुरी से अच्छी खासी
दूरी बनाए हुए हैं इसे उसका चक्कर लगाने में सिर्फ 11 दिनों का वक्त लगता है.
इस प्लेनेट की प्रॉब्लम यह है
कि धरती पर सूरज जितने लाइट देता है वहां पर उसके सूरज की केवल 2 % लाइट ही आप आती
है यानी वहां दिन भी करीब-करीब रात जैसा ही होगा जहां बहुत कम लाइट होगी।
अब आप सोच रहे होंगे कि यह प्रॉब्लम इतनी पढ़ी नहीं है एक और बड़ी प्रॉब्लम
यह है कि यहां काफी तेज हवाएं चलती हैं जो कि धरती से करीब 200 गुना ज्यादा
शक्तिशाली होती हैं.
लेकिन यह कभी-कभी इतनी तेज होती हैं इसीलिए यह प्लेनेट काफी
सिमरन है.
हमारे और जैसा साइंटिस्ट लगातार यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि
वहां का एडमिशन किस चीज का बना है या नहीं वहां पर कौन सी गैस है किस प्रोपोर्शन
पर मौजूद है ताकि वहां जीवन की संभावनाओं को खोजा जा सके ।
02. के प्लस 12 यह प्लेनेट :
18 अप्रैल 2013 को नासा के केपलर
मिशन के दौरान ढूंढा गया था यह जो प्लेनेट बिल्कुल हमारी धरती जैसा है.
यह सुपर
अर्थ प्लेनेट अपने सितारे यानी कैपलर से उनकी दूरी से चक्कर लगा रहा है यह धरती से
करीब 90 लाइट इयर की दूरी पर मौजूद
है इसके अनुमान के मुताबिक या थोड़ा-थोड़ा पानी है या फिर यह है जहां काफी ज्यादा
पानी है।
वैसे इन दोनों ही कैसेट में वहां पर जीवन के होने की संभावना काफी ज्यादा
है यह अपने सूरत का चक्कर करीब 267 दिनों में लगाता
है.
यहां पर हमारे धरती के मुकाबले उसके सूरज की करीब 40% लाइट आती है कुछ
कैलकुलेशन से यह भी अंदाजा लगाया जा रहा है
यह अपनी ऑर्बिट में टाइडल ली locked रहता है यानी हर
किसी एक्सेस पर घूम नहीं रहा है। जैसे हमारे धरती घूमती है.
इसलिए यहां पर एक साइड
हमेशा सूरज की तरह होगा जिसकी वजह से वहां काफी ज्यादा गर्मी होगी और दूसरा साइड
हमेशा अंधेरे में रहेगा जिसकी वजह से वहां का टेंपरेचर काफी कम हुआ.
इसी वजह से
यहां पर रहने के लिए काफी कम एरिया बचेगा जहां लोग इस दिन और रात के बॉर्डर पर रह
सकें जहां ना ज्यादा ठंडी होगी और ना ही ज्यादा गर्मी अगर हम ऐसी टेक्नोलॉजी बना
पाए.
जिससे इंसान इतनी दूरी तय कर पाए तो यहां पर जिंदगी तो होना काफी हद तक संभव
है।
03॰ केपलर 452 बी ए प्लेनेट 23
अप्रैल 2015 को कैपलर स्पेस
टेलीस्कोप से ढूंढा गया था। यह सिग्नस नाम के कौन से रिलेशन में मौजूद है.
इसके
सितारे का नाम है केपलर 452 कॉमनली सुपर अर्थ
भी बोलते हैं क्योंकि यह हमारे सूरज जैसे ही इस सूरज का चक्कर लगा रहा है.
इसका
मार्च हमारी धरती से करीब 5 गुना ज्यादा है
जिसकी वजह से यहां पर ग्रेविटी हमारी धरती से करीब 2 गुना ज्यादा है.
ज्यादा सरफेस एरिया होने की वजह से
यह काफी सनलाइट को इक्ठा करता है इसीलिए यहां पर एवरेज टेंपरेचर थोड़ा ज्यादा रहता
है लेकिन इसके बावजूद सिमुलेशन टेक्स्ट के मुताबिक यहां पर टेंपरेचर काफी स्टेबल
रहता है.
यह अपने सूरत का चक्कर 350 दिनों में लगाता है। यह हमारे सोलर सिस्टम काफी दूर है और यहां तक जाने के लिए शायद टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना पड़ेगा अब आप यह कहेंगे कि 2018 में की गई एक स्टडी के मुताबिक इसके काफी कम है.
ज्यादा नहीं है और जितना भी डाटा उन्हें
मिला है वह इस स्टडी कंप्लीट नहीं है इसीलिए जब तक जाती तब तक यही मान के चलते हैं
04. एचडी 855 12 बी ए
प्लेनेट
वाला कांस्टेलेशन के सितारे एचडी 15512 जो कि एक के टाइप
मैनचेस्टर है उसके चक्कर लगा रहा है के टाइप स्टार शो स्टार होते हैं जो कि सितारों
की चमक के मुताबिक क्लासिफाई करें इस खेल में क्लास 5 में रहता है यानी
यह काफी चमकीला सितारा है.
मेन सीक्वेंस का मतलब है वह सितारा जिस का मेन फ्यूज
हाइड्रोजन होता है जैसे कि हमारा सूरज भी एक मेल है इसका मां धरती से करीब 3 पॉइंट से ज्यादा
है.
इसको रॉकी अर्थ प्लेनेट की कैटेगरी में रखा गया है यह इंसानों द्वारा ढूंढा गया
सबसे छोटा है यह इसका भी आधा हिस्सा हमेशा सूरज की तरह और आधा हिस्सा हमेशा अंधेरे
में रहता है.
यह हमारी धरती के मुकाबले करीब 2 गुना ज्यादा लाइट को रिसीव करता है गिरीश 5nd के साथ-साथ इसे
भी धरती की तरह सबसे Stable और लाइफ के लिए
सबसे अप्रोब्रियस प्लेनेट माना जाता है इस प्लेनेट को 17 अगस्त 2011 में ढूंढा गया था।
05. 521212
लिब्रा
कांस्टेलेशन में मौजूद यह जो प्लेनेट हम से करीब 20...m की दूरी पर है
साइंटिस्ट द्वारा किए गए कंप्यूटर क्लाइमेट सिमुलेशन में यहां पर पानी के होने के
काफी ज्यादा जानते हैं इसीलिए इसे बिल्कुल धरती जैसा प्लेनेट माना जाता है.
क्योंकि
इसकी दूरी इसके सूरत से काफी अच्छे प्रमोशन में है हालांकि 2012 और 2014 में कुछ स्टडीज
के मुताबिक साइंटिस्ट ने इस प्लेनेट की होने पर सवाल उठाया था.
2015 में एक और स्टडी
की गई जिसके बाद इस प्लेनेट के होने की पॉसिबिलिटी काफी ज्यादा बढ़ गई इसे 24 अप्रैल 2007 में ढूंढा गया था।
इस प्लेनेट पर एक दिन धरती के 67 दिनों के बराबर
होता है अभी तक मिले डाटा को सिमुलेशन में डालकर देखा गया तो ऐसा माना जा रहा है
कि इस प्लेनेट पर एक न एक महासागर जरूर हो सकता है।
06. मंगल
यानी हमारा
मंगल आज की टेक्नोलॉजी और सबसे पास के अल्टरनेटिव की बात करें तो हमारे पास सबसे
अच्छा एक ही ऑप्शन है और वह है मंगल गृह।
इंसानों के लिए दूसरा रहने लायक रह बन सकता है और शायद हम ऐसा होते
हुए देख पाएंगे क्योंकि जिस हिसाब से एलॉन मुस्क और नासा मंगल को लेकर इतना काम कर
रहे हैं.
ऐसा हो सकता है कि आप और मैं इंसानों को मंगल पर रहते हुए देख पाएंगे यहां
पर इसकी मिट्टी में पानी के होने के सबूत मिले हैं और माना जाता है.
कभी यहां पर
पानी हुआ करता था यहां पर प्रॉपर सनलाइट है और दिन भी करीब-करीब हमारे दिन जितना
ही बड़ा होता है यहां की ग्रेविटी काफी कम है धरती के मुकाबले मंगल पर केवल 13 % ही है।
लेकिन
फिर भी एक्सेप्टेबल में है जहां हम रह सकते हैं और धीरे-धीरे इंसान इस ग्रेविटी को
ऐड कर सकता है और नासा अपने-अपने एक्सपेरीमेंट्स और रिसर्च कर रहे हैं.
यहां
धरती पर ही एक ऐसा बना रहे हैं जैसा मार्ग पर है और वहां रहने की कोशिश भी कर रहे
हैं ताकि जब वह असली में मार्ग पर जाएं तो वहां भी रह सके 22471 लोगों को भेज
पाएंगे और 2050 तक हम वहां रहने
लायक बना पाएंगे.
कोई भी इंसान जाकर रह सके तो यह कुछ ऐसे जो कि हमारी धरती से
मिलते हैं और शायद जिंदगी बचा सकते हैं आपको सबसे अच्छा लगा नीचे कमेंट करके बताए।
Post a Comment
Thank you For Visiting