आयुर्विज्ञान (Medical science) एक लगातार बढ़ रहा क्षेत्र, जिसमे नई प्रौद्योगिकी (Technology) और दवाओं के आगमन ने युवा पीढ़ी को विभिन प्रकार से आकर्षित किया है।
उधोगो के विपरीत ,स्वस्थ देखभाल के क्षेत्र में परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है। और इससे चिकित्स्कों ,अनुसन्धान तकनीशियन और शिक्षकों को उत्साह के साथ काम करने की प्रेरणा में अधिक स्वास्थ देखभाल की आवश्यकता होती है।
किसी भी अन्य जनसांख्यिकीय की तुलना में किशोर खुद को दीर्घायु एवं लम्बे समय तक स्वस्थ और सक्रिय रहने पर धयान केंद्रित कर है। इस वजह से चिकित्स्कों एवं शल्य चिकित्स्कों की मांग बढ़ रही है।
आयुर्विज्ञान बीमार लोगो के साथ काम कर रहे लोगो के लिए सबसे पुरस्कृत सेवाओं में से एक है। अन्य सेवाओं के विपरीत मंदी से परे एवं स्व नियोजित किया जा सकता है। एक चिकित्सक के पेसे में कड़ी मेहनत शामिल होती है।
आयुर्विज्ञान बीमार लोगो के साथ काम कर रहे लोगो के लिए सबसे पुरस्कृत सेवाओं में से एक है। अन्य सेवाओं के विपरीत मंदी से परे एवं स्व नियोजित किया जा सकता है। एक चिकित्सक के पेसे में कड़ी मेहनत शामिल होती है।
एक चिकित्सक की पेशे के लिए योग्यता क्या होगी ?
एक चिकित्सक के पेशे के लिए बुनियादी डिग्री M.B.B.S. 5.5 (+ 1 साल की इंटर्नशिप के साथ) साल की अवधि का होता है। इसमें प्रवेश के लिए आवश्यक योग्यता 10 +2 में विज्ञान के विषय जैसे - Physics, chemistry एवं Biology में अच्छे अंको से होना होगा।
आयुर्विज्ञान के कुछ चमत्कार (Some miracles of medicine)
- एनस्थीसिया एवं एनलजेसिया ,जो हमे दर्द से राहत देते है।
- संक्रामक रोगो के रोगाणु ,करनो का ज्ञान जिनसे हैजा , प्लेग ,पिले बुखार , टाइफाइड जैसे बीमारियों का उपचार अच्छी तरह से नियंत्रित एवं सम्भव बनाया है।
- बीमारी के लिए परिरक्षा और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के ज्ञान ने पृथ्वी से चेचक को समाप्त कर दिया।
- दवाइयों और अपूर्तिता ,जो सभी रोग ग्रस्त अंगो पर सम्भव घाव संक्रमण ,रक्त विषाक्त और संचालन आदि की रोक - थाम करता है।
- रोगो के लक्षणों का ज्ञान जो शरीर क्रिया विज्ञान के आधार पर आधारित है ,जैसे - X-ray, sonography etc. के उपयोग से काफी मदद मिलती है।
- ऑर्गेनोथेरेपी , जिसमे संधातिक अरक्त , मानसिक विकास , मधुमेह में इन्सुलिन का उपयोग थायराइड निकलने की प्रकिया आदि शामिल है।
- पोषण एवं विटामिन के विकाश सम्बंधित ज्ञान जो की रिकेट्स , स्करवी ,पॉलीन्यूरिटीस , पेलाग्रा आदि रोगो की रोकथाम से सम्बंधितहै।
पोषण और विटामिन की ज्ञान ने हमारे भोजन की आपूर्ति को बढ़ाना सम्भव बनाया है। साथ ही बच्चो में कुछ पुराने रोगो व् कुपोषण की रोकथाम , आर्थिक मंदी के समय में संतुलित आहार को भी सम्भव बनाया है।
प्रद्योगिकी (Technology) ने आयुर्विज्ञान (Medical science) को सक्षम बनाया है जिससे लोगो का समय पर चिकित्सा सुनिश्चित हुआ है। इससे कैंसर जैसे खतरनाक जानलेवा रोग का शुरुआती दौर में पता लगने से इसका उपचार सम्भव हो पाया हैं।
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