मोबाइल फोन का कार्य सिद्धान्त ( Working principle of mobile phone ) - मोबाइल टेलीफोन द्वारा चलते हुए भी बातचीत करना सम्भव है । यह टेलीफोन एक्सचेन्ज व्यवस्था के स्थान पर प्रयुक्त सेल्युलर रेडियो नेटवर्क तकनीकी के कारण सम्भव हो सका है । इस तकनाका क अन्तगत । एक सम्पूर्ण सेवा क्षेत्र के लिए एक अकेले उच्च शक्ति ट्रांसमिटर के स्थान पर अनेकों निम्न शक्ति ट्रान्समिटर स्थापित किये जाते हैं जिनमें प्रत्येक सम्पूर्ण क्षेत्र के एक भिन्नात्मक भाग को अधिग्रहण करता है । प्रत्येक निम्न शक्ति टांसमिटर आधार स्टेशन ( Base station ) कहलाता है.
भिन्नात्मक भाग एक सेल कहलाती है । प्रत्येक सेल में एक एण्टीना लगा होता है जिसके माध्यम से मोबाइल फोन से रेडियो सिगनल भेजे जाते हैं तथा अन्य मोबाइल फोन से प्राप्त रेडियो सिगनल ग्रहण किये जाते हैं जो कि सेल के अन्तर्गत नीहित रहते हैं । एक क्षेत्र के समस्त सेलों के एण्टीना परस्पर ठीक उसी प्रकार एक नेटवर्क से जुड़े रहते हैं जिस प्रकार Internet में कम्प्यूटर्स जुड़े रहते हैं । प्रत्येक सेल एण्टीना अपने चारों ओर न्यूनतम 1 . 5 से 2 किमी तक तथा अधिकतम 48 से 56 या अधिक किमी का क्षेत्र अधिग्रहण करती है जो उपभोक्ताओं की संख्या पर निर्भर करता है ।
भिन्नात्मक भाग एक सेल कहलाती है । प्रत्येक सेल में एक एण्टीना लगा होता है जिसके माध्यम से मोबाइल फोन से रेडियो सिगनल भेजे जाते हैं तथा अन्य मोबाइल फोन से प्राप्त रेडियो सिगनल ग्रहण किये जाते हैं जो कि सेल के अन्तर्गत नीहित रहते हैं । एक क्षेत्र के समस्त सेलों के एण्टीना परस्पर ठीक उसी प्रकार एक नेटवर्क से जुड़े रहते हैं जिस प्रकार Internet में कम्प्यूटर्स जुड़े रहते हैं । प्रत्येक सेल एण्टीना अपने चारों ओर न्यूनतम 1 . 5 से 2 किमी तक तथा अधिकतम 48 से 56 या अधिक किमी का क्षेत्र अधिग्रहण करती है जो उपभोक्ताओं की संख्या पर निर्भर करता है ।
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